Hindi Suvichar on Life : सुविचार का अर्थ महान विचार होते जो आपके जीवन में अच्छे विचार प्रदान करके आपके जीवन को सुखदायी बनाते है |
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Hindi Suvichar on Life With Images




उपनिषदों के सत्य तुम्हारे सामने हैं। उन्हें स्वीकार करो, उनके अनुसार अपना जीवन बनाओ, और इसी से शीघ्र ही भारत का उद्धार होगा।


काम इस प्रकार करते रहो, मानो पूरा कार्य तुममें से प्रत्येक पर निर्भर है। पचास शताब्दियाँ तुम्हारी ओर ताक रही है, भारत का भविष्य तुम पर अवलम्बित है। कार्य करते रहो।

मैं जानता हूँ कि वह जाति जिसने सीता को जन्म दिया यह चाहे उनका स्वप्न ही क्यों न हो स्त्रियों के लिए वह सम्मान रखती है, जो पृथ्वीतल पर अतुलनीय है।

अपने भाइयों का नेतृत्व करने का नहीं, वरना उनकी सेवा करने का प्रयत्न करो | नेता बनने की क्रूर उन्मुता से बड़े बड़े जहाजों को इस जीवनरूपी समुद्र में डुबो दिया है |
Life Changing Suvichar in Hindi
‘शाइलावस’ अर्थात् निर्दयी महाजनों के अत्याचारों के कारण पाश्चात्य देश कराह रहे हैं और पुरोहितों के अत्याचारों के कारण प्राच्या
धर्म मतवाद या बैद्धिक तर्क में नहीं है, वरन् आत्मा की ब्रह्मस्वरूपता को जान लेना, तद्रूप हो जाना उसका साक्षात्कार, यही धर्म है।
भौतिक शक्ति का प्रत्यक्ष केन्द्र यूरोप, यदि आज अपनी स्थिति में परिवर्तन करने में सतर्क नहीं होता, यदि वह अपना आदर्श नहीं बदलता और अपने|
अपने स्नायु शक्तिशाली बनाओ। हम लोहे की मांसपेशियाँ और फौलाद के स्नायु चाहते हैं। हम बहुत से चुके अब और अधिक न रोओ, वरन् अपने पैरों पर खड़े होओ और मनुष्य बनो।
यदि ईश्वर है, तो हमें उसे देखना चाहिए; अन्यथा उन पर विश्वास न करना ही अच्छा है। ढोंगी बनने की अपेक्षा स्पष्ट रूप से नास्तिक बनना अच्छा है।
Good Morning Suvichar in Hindi
ईश्वर मुक्तिस्वरूप है, प्रकृति का नियन्ता है। तुम उसे मानने से इन्कार नहीं कर सकते। नहीं, क्योंकि तुम स्वतन्त्रता के भाव के बिना न कोई कार्य कर सकते हो, न जी सकते हो।
जब आपको ऐसे लोग मिलेंगे, जो देश के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने को तैयार हैं और जो हृदय के सच्चे हैं-जब ऐसे लोग उत्पन्न होंगे, तभी भारत प्रत्येक दृष्टि से महान् होगा। मनुष्य ही तो देश के भाग्यविधाता हैं।
अपने भाइयों का नेतृत्व करने का नहीं, वरन् उनकी सेवा करने का प्रयत्न करो। नेता बनने की इस क्रूर उन्मत्तता ने बड़े बड़े जहाजों को इस जीवनरूपी समुद्र में डुबो दिया है।
उपहास, विरोध और फिर स्वीकृति प्रत्येक कार्य को इन तीन अवस्थाओं में से गुजरना पड़ता है। जो व्यक्ति अपने समय ने आगे की बात सोचता है, उसके सम्बन्ध में लोगों की गलत धारणा होना निश्चित है।
से हल कर सकें। उनका यह कार्य न कोई दूसरा कर सकता है, और न किसी दूसरे को करना ही चाहिए। हमारी भारतीय महिलाएँ संसार की किन्हीं भी अन्य महिलाओं की तरह यह कार्य करने के योग्य हैं।
यह एक बड़ी सचाई है; शक्ति ही जीवन और कमजोरी ही मृत्यु है। शक्ति परम सुख है, अजर अमर जीवन है। कमजोरी कभी न हटनेवाला बोझ और यन्त्रणा है; कमजोरी ही मृत्यु है।
जीवन को आध्यात्मिकता पर आधारित नहीं करता, तो पचास वर्ष के भीतर वह नष्ट-भ्रष्ट होकर धूल में मिल जाएगा और इस स्थिति में इसे बचानेवाला यदि कोई है तो वह है उपनिषदों का धर्म।
इच्छाशक्ति ही सब से अधिक बलवती है। इसके सामने हर एक वस्तु झुक सकती है, क्योंकि वह ईश्वर और स्वयं ईश्वर से ही आती है; पवित्र और दृढ़ इच्छाशक्ति सर्वशक्तिमान है। क्या तुम इसमें विश्वास करते हो?
कोई भी जीवन असफल नहीं हो सकता; संसार में असफल कही जानेवाली कोई वस्तु है ही नहीं। सैकड़ों बार मनुष्य को चोट पहुँच सकती है, हजारों बार वह पछाड़ खा सकता है, पर अन्त में वह यही अनुभव करेगा कि वह स्वयं ही ईश्वर है।
‘भोजन, भोजन’ चिल्लाने और उसे खाने तथा ‘पानी, पानी’ कहने और उसे पीने में बहुत अन्तर है। इसी प्रकार केवल ‘ईश्वर, ईश्वर’ रटने से हम उसका अनुभव करने की आशा नहीं कर सकते। हमें उसके लिए प्रयत्न करना चाहिए, साधना करनी चाहिए।
अनेकों के लिए भारतीय विचार, भारतीय रीति-रिवाज, भारतीय दर्शन, भारतीय साहित्य प्रथम दृष्टि में ही घृणास्पद प्रतीत होते हैं, पर यदि वे सतत प्रयत्न करें, पढ़ें तथा इन विचारों में निहित महान् तत्त्वों से परिचित हो जाएँ, तो परिणामस्वरूप उनमें से निन्यानबे प्रतिशत आनन्द से विभोर होकर उन पर मुग्ध हो जाएँगे।
भारत का पतन इसलिए नहीं हुआ कि हमारे प्राचीन नियम और रीति-रिवाज खराब थे, वरन् इसलिए कि उनका जो उचित लक्ष्य है, उस पर पहुँचने के लिए जिन अनुकूल वातावरण एवं साधनों की आवश्यकता थी, उनका निर्माण नहीं होने दिया गया।
जो अपने आपको ईश्वर को समर्पित कर देते हैं, वे तथाकथित कर्मियों की अपेक्षा संसार का अधिक हित करते हैं। जिस व्यक्ति ने अपने को पूर्णतः शुद्ध कर लिया है, वह उपदेशकों के समूह की अपेक्षा अधिक सफलतापूर्वक कार्य करता है। वित्तशुद्धि और मौन से ही शब्द में शक्ति आती है।
ध्यान ही महत्त्वपूर्ण बात है। ध्यान लगाओ। ध्यान सब से बड़ी बात है। आध्यात्मिक जीवन की प्राप्ति के लिए श्रेष्ठतम-निकटतम उपाय है। हमारे दैनिक जीवन में यही एक क्षण है, जब हम सांसारिकता से पृथक् रह पाते हैं; इसी क्षण में आत्मा अपने आप में ही लीन रहती है, अन्य सब विचारों से मुक्त रहती है-यही है आत्मा का आश्चर्यजनक प्रभाव।
तुम्हारी सहायता कौन करेगा? तुम स्वयं ही विश्व के सहायता-स्वरूप हो। इस विश्व की कौनसी वस्तु तुम्हारी सहायता कर सकती है। तुम्हारी सहायता करनेवाला मनुष्य, ईश्वर या प्रेतात्मा कहाँ है? तुम्हें कौन पराजित कर सकता है? तुम स्वयं ही विश्वस्रष्टा भगवान् हो, तुम किससे सहायता लोगे? सहायता
यह धर्म उसके द्वारा प्राप्त किया जाता है, जिसे हम भारत में ‘योग’ या ‘एकत्व’ कहते हैं। यह योग कर्मयोगी के लिए मनुष्य और मनुष्य जाति के एकत्व के रूप में, राजयोगी के लिए जीव तथा ब्रह्म के एकत्व के रूप में, भक्त के लिए प्रेमस्वरुप भगवान् तथा उसके स्वयं के एकत्व के रूप में और ज्ञानयोगी के लिए बहुत्व में एकत्व के रुप प्रकट होता है। यही है योग का अर्थी
यदि मानवजाति के आज तक के इतिहास में महान् पुरुषों और स्त्रियों के जीवन में सब से बड़ी प्रवर्तक शक्ति कोई है, तो वह आत्माविश्वास ही है। जन्म से ही यह विश्वास रहने के कारण कि वे महान् होने के लिए ही पैदा हुए हैं, वे महान् बने।
हम देख सकते हैं कि एक तथा दूसरे मनुष्य के बीच अन्तर होने का कारण उसका अपने आप में विश्वास होना और न होना ही है। होने से सब कुछ हो सकता है। मैंने अपने जीवन में इसका अनुभव किया है, अब भी कर रहा हूँ और जैसे जैसे मैं बड़ा होता जा रहा हूँ, मेरा विश्वास और भी दृढ़ होता जा रहा
आशा करते है की आपको 69+ Best Hindi Suvichar on Life यह आलेख पसंद आया होगा जो महान विचारों का संग्रह है, जिससे आप अपना आज और काल बेहतर बना सकते है ।
धन्यवाद ।